इमेज स्रोत, Getty Images
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को आम बजट पेश करेंगी. आम बजट सुबह 11 बजे पेश होगा. निर्मला सीतारमण पांचवीं बार बजट पेश करेंगी.
इससे पहले 31 जनवरी को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया. आइए जानते हैं कैसे तैयार होता है बजट और क्या है इससे जुड़ी दिलचस्प जानकारियां.
आम या भारत का संघीय बजट क्या है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के मुताबिक किसी एक खास साल में केंद्र सरकार के वित्तीय ब्योरे को संघीय बजट कहते हैं. संविधान के मुताबिक सरकार को हर वित्त वर्ष की शुरुआत में संसद में बजट पेश करना होता है.
वित्त वर्ष की अवधि मौजूदा वर्ष के 1 अप्रैल से अगले साल के 31 मार्च तक होती है. सरकार की ओर पेश वित्तीय ब्योरे में किसी खास वित्त वर्ष में केंद्र सरकार की अनुमानित प्राप्तियों (राजस्व और अन्य प्राप्तियां) और खर्चे को दिखाया जाता है.
सरल शब्दों में कहा जाए तो बजट अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार की वित्तीय योजना है. दरअसल इसके जरिये यह तय करने की कोशिश की जाती है सरकार अपने राजस्व की तुलना में खर्चे को किस हद तक बढ़ा सकती है.
छोड़कर ये भी पढ़ें आगे बढ़ें
ये भी पढ़ें
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्या है और क्यों मनाया जाता है, जानिए
BBC She: ख़बरों की दुनिया में औरतों की भागीदारी कैसे बढ़े?
इसराइली कब्ज़े के विरुद्ध कैसे खड़ा हुआ फ़लस्तीनी युवाओं का मिलिशिया 'लॉयंस डेन'
मोदी सरकार पर ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग के कैसे और कितने आरोप
समाप्त
यह कवायद इसलिए होती है क्योंकि उसे राजकोषीय घाटा का एक लक्ष्य हासिल करना होता है. यह लक्ष्य राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (Fiscal Responsibility and Budget Management Act, 2003 ) के तहत तय किया जाता है.
इमेज स्रोत, SOPA IMAGES/GETTY IMAGES
बजट की नींव कैसे रखी जाती है?
देश में किसी साल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की मौजूदा बाजार कीमत को नॉमिनल जीडीपी कहते हैं. इसे बजट की बुनियाद या नींव कहा जा सकता है क्योंकि बगैर नॉमिनल जीडीपी जाने अगले साल का बजट बनाना संभव नहीं होगा.
बजट के लिए राजकोषीय घाटा का लक्ष्य कितना जरूरी?
राजकोषीय घाटा नॉमिनल जीडीपी के फीसदी में तय किया जाता है. राजकोषीय घाटा का जो लेवल तय होता है, सरकार उस साल वहीं तक कर्ज लेती है. अगर नॉमिनल जीडीपी ज्यादा होगी तो सरकार अपना खर्च चलाने के लिए बाजार से ज्यादा कर्ज ले पाएगी.
नॉमिनल जीडीपी जाने बगैर सरकार यह तय नहीं कर सकती कि उसे राजकोषीय घाटा कितना रखना है और न ही वह यह पता कर सकती है कि आने वाले साल में सरकार के पास कितना राजस्व आएगा.
बगैर राजस्व का अंदाजा लगाए सरकार यह तय नहीं कर पाएगी कि उसे किस योजना में कितना खर्च करना है.
- क्या आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया एक ही सिक्के के दो पहलू हैं?
- जीडीपी क्या होती है और आम जनता के लिए ये क्यों अहम है?
इमेज स्रोत, AlexLMX
कैसे शुरू होती है बजट बनाने की प्रक्रिया?
बजट बनाने की प्रक्रिया संसद में इसे पेश करने से छह महीने पहले शुरू हो जाती है. यह काफी-लंबी चौड़ी प्रक्रिया होती है. इसके तहत अलग-अलग प्रशासनिक निकायों से आंकड़े मंगाए जाते हैं. इन आंकड़ों से पता किया जाता है कि उन्हें कितने फंड की जरूरत है.
इसके साथ ही यह तय किया जाता है कि जनकल्याण योजनाओं के लिए कितने पैसों की जरूरत होगी. इसी हिसाब से अलग-अलग मंत्रालयों को फंड मुहैया कराए जाते हैं.
बजट बनाने में वित्त मंत्री के अलावा वित्त सचिव, राजस्व सचिव और व्यय सचिव अहम भूमिका निभाते हैं. इस दौरान हर रोज कई बार वित्त मंत्री से उनकी बजट के सिलसिले पर बातचीत होती है. बैठक या तो नॉर्थ ब्लॉक ( जहां वित्त मंत्रालय है) में होती है या वित्त मंत्री के आवास पर.
बजट बनाने के दौरान पूरी टीम को प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष का सहयोग मिलता रहता है. अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट भी बजट टीम में काम करते हैं.
बजट पेश करने से पहले विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों और उद्योग संगठनों के लोगों से भी वित्त मंत्री सलाह-मशविरा करते हैं. इन मुलाकातों में ये संगठन अपने-अपने सेक्टर को सुविधाएं और टैक्स राहत देने की मांग रखते हैं.
बजट से पहले तमाम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों को अंतिम रूप दिया जाता है.
इमेज स्रोत, anand purohit
बजट में क्या-क्या शामिल होता है?
छोड़कर पॉडकास्ट आगे बढ़ें
पॉडकास्ट
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर (Dinbhar)
देश और दुनिया की बड़ी ख़बरें और उनका विश्लेषण करता समसामयिक विषयों का कार्यक्रम.
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर
समाप्त
सरकार का आम बजट मूल रूप से उसके खर्चे और राजस्व (रेवेन्यू) का ब्योरा होता है. सरकार के खर्च में जनकल्याण योजनाओं में दिया जाने वाला फंड, आयात के खर्चे, सेना की फंडिंग, वेतन और कर्ज पर दिया जाने वाला ब्याज वगैरह शामिल होता है.
जबकि सरकार टैक्स लगाने के साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र के कारोबारों से कमाई और बॉन्ड जारी कर राजस्व इकट्ठा करती है.
इस बजट के दो हिस्से होते हैं- रेवेन्यू बजट और कैपिटल बजट. रेवेन्यू बजट में ही खर्च और राजस्व का ब्योरा होता है. रेवेन्यू प्राप्ति में टैक्स और गैर टैक्स स्रोत से हासिल रकम दिखाई जाती है.
रेवेन्यू खर्च सरकार के हर दिन के कामकाज और नागरिकों को दी जाने वाली सेवाओं में लगा खर्च होता है. अगर रेवेन्यू खर्च रेवेन्यू प्राप्ति से ज्यादा होता है तो सरकार को राजस्व का घाटा होता है.
कैपिटल बजट या पूंजी बजट सरकार की प्राप्तियों और उसकी ओर से किए गए भुगतान का ब्योरा होता है. इसमें जनता से लिया गया लोन ( बॉन्ड के जरिये), विदेश से और आरबीआई से लिया गया लोन शामिल होता है.
वहीं पूंजीगत खर्च में मशीनरी, औजार, बिल्डिंग, हेल्थ सुविधा, शिक्षा पर किया गया खर्च शामिल होता है. जब सरकार के राजस्व से ज्यादा खर्च हो जाता है तो राजकोषीय घाटे की स्थित पैदा हो जाती है.
- नौकरी के लिए तरसते नौजवान: कितना ग़हरा है भारत का बेरोज़गारी संकट?
- जीडीपी का चक्का उल्टा घूमा तो क्या होगा असर
इमेज स्रोत, CHANDAN KHANNA/ Contributor
स्वतंत्र भारत का पहला बजट
स्वतंत्र भारत का पहला बजट षणमुगम चेट्टि ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था. हालांकि इसमें सिर्फ अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी और कोई टैक्स नहीं लगाया गया था.
बजट में शामिल प्रस्तावों को संसद के अनुमोदन की जरूरत होती है. संसद की मंजूरी मिल जाने के बाद ये प्रस्ताव 1 अप्रैल से लागू हो जाते हैं और अगले साल 31 मार्च तक जारी रहते हैं. 1947 से लेकर अब तक देश में 73 आम बजट, 14 अंतरिम बजट या चार खास या मिनी बजट पेश किए जा चुके हैं.
षणमुगम शेट्टी के बाद वित्त मंत्री जॉन मथाई ने पहला संयुक्त-भारत बजट पेश किया था, इसमें रजवाड़ों के तहत आने वाले विभिन्न राज्यों का वित्तीय ब्योरा भी पेश किया गया था.
सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड किसके नाम?
मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री के तौर पर सबसे ज्यादा दस बार बजट पेश किया. बाद में वह देश के प्रधानमंत्री भी बने. वित्त मंत्री के तौर काम कर रहे वी.पी सिंह के इस्तीफे के बाद 1987-1989 के बीच राजीव गांधी ने बजट पेश किया था. एनडी तिवारी ने 1988-89 और एसबी चह्वाण ने 1989-90 का बजट पेश किया था. मधु दंडवते 1990-91 का बजट पेश किया था.
इमेज स्रोत, Keystone
किसके नाम कितने बजट पेश करने का रिकॉर्ड
मोरारजी देसाई के बाद सर्वाधिक बजट पेश करने का रिकार्ड पी चिदंबरम के नाम है. उन्होंने नौ बार बजट पेश किया. संयुक्त मोर्चा के सरकार के वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने 1996 से लेकर 1998 तक बजट पेश किया. फिर यूपीए-1 और यूपीए-2 सरकार में बजट पेश किया.
प्रणब मुखर्जी ने आठ बार बजट पेश किया था. पहले 1982 से 1984 तक इंदिरा गांधी सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर और फिर 2009 से 2012 तक मनमोहन सरकार के वित्त मंत्री के तौर पर .
यशवंत राव चह्वाण, सीडी देशमुख और यशवंत सिन्हा ने सात-सात बार बजट पेश किया.
मनमोहन सिंह और टीटी कृष्णमाचारी ने छह-छह बार बजट पेश किया.
- भविष्य में अर्थव्यवस्था की दिशा बताने वाले क्या हैं छह संकेत
- जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसे बिगड़ सकता है घर का बजट
इमेज स्रोत, Sondeep Shankar/Getty Images
मनमोहन सिंह का फ्री मार्केट बजट
चुनाव की वजह से मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के तौर पर 1991-92 का अंतरिम बजट पेश किया था. इसके बाद कांग्रेस सत्ता में आई और मनमोहन सिंह ने 1991-92 का पूर्ण बजट पेश किया.
1992 और 1993 में पेश किए गए बजट में मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को खोलने के कई प्रावधान किए. इनके तहत आयात ड्यूटी 300 फीसदी से घटा कर 50 फीसदी कर दी गई. 24 जुलाई 1991 को पेश इस बजट में आयात-निर्यात नीति में अहम बदलाव किए गए.
आयात के लिए लाइसेंसिंग नीति में राहत दी गई और निर्यात को बढ़ावा देने के कई प्रावधान किए गए. इस बजट ने वास्तव में भारतीय उद्योगों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा के दरवाजे खोल दिए.
चिदंबरम का ड्रीम बजट
1997 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जो बजट पेश किया था उसे 'ड्रीम बजट' कहा गया. इस बजट में उन्होंने कॉरपोरेट टैक्स और इनकम टैक्स में बड़ी कटौती की थी.
कॉरपोरेट टैक्स से सरचार्ज घटा दिया था. साथ ही कस्टम ड्यूटी 50 फीसदी से घटाकर 40 फीसदी कर दी थी. बजट में कर प्रावधानों को तीन अलग-अलग स्लैब में बांट दिया गया था.
बजट में काले धन पर रोक लगाने के लिए एक स्कीम- वॉलेंटरी डिसक्लोजर ऑफ इनकम स्कीम (VDIS) शुरू की गई थी, जिसका व्यापक असर हुआ और सरकार के राजस्व में भारी बढ़ोतरी हुई थी.
- दुनिया भर में महंगाई अचानक क्यों बढ़ रही है?
- सरकारी आंकड़ों में घटती महंगाई आम लोगों को महसूस क्यों नहीं हो रही?
इमेज स्रोत, PUNIT PARANJPE/AFP via Getty Images
बजट तैयार करने से जुड़ी गोपनीयता
चुनिंदा अधिकारी बजट दस्तावेज तैयार करते हैं. इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले सभी कंप्यूटरों को दूसरे नेटवर्क से डीलिंक कर दिया जाता है ताकि यह लीक न हो. बजट पर काम कर रहा स्टाफ करीब दो से तीन हफ्ते तक नॉर्थ ब्लॉक के दफ्तरों में ही रहता है. उनको बाहर आने की इजाजत नहीं होती.
नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में लगे प्रिंटिंग प्रेस में बजट तैयार करने से जुड़े अफसर और कर्मचारी लगभग लॉक कर दिए जाते हैं. बजट बनाने की प्रक्रिया के दौरान उन्हें अपने परिजनों तक से बातचीत करने या मिलने की इजाजत नहीं होती है.
बजट छपने से पहले हलवा सेरेमनी
बजट की छपाई की शुरुआत हर साल नॉर्थ ब्लॉक में हलवा सेरेमनी से होती है. वित्त मंत्रालय में एक बड़ी कढ़ाही में हलवा बनाया जाता है.
वित्त मंत्री और वित्त मंत्रालय के सभी अधिकारी इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं. वहां मौजूद लोगों में हलवा बांटा जाता है. हालांकि इस बार कोविड की वजह से हलवा सेरेमनी नहीं हुई. बजट टीम में शामिल लोगों की मिठाई दी गई.
बजट पेश करने की तारीख में बदलाव
साल 2016 तक भारत में फरवरी महीने के आखिरी दिन आम बजट पेश किया जाता था. लेकिन 2017 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने का दिन बदल कर 1 फरवरी कर दिया.
रेल बजट को आम बजट में मिला दिया गया
2017 से पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था लेकिन 2017 में इसे आम बजट में मिला दिया गया.
इमेज स्रोत, Getty Images
जब पहली महिला वित्त मंत्री ने बजट पेश किया
इंदिरा गांधी पहली महिला वित्त मंत्री थीं, जिन्होंने बजट पेश किया. उन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर 1970 में बजट पेश किया था. पीएम के अलावा उनके पास वित्त मंत्रालय का भी प्रभार था.
1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में छपता था लेकिन इसके बाद कांग्रेस सरकार ने इसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में छापने की परंपरा शुरू की.
सबसे लंबा और छोटा बजट भाषण
मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2020 का बजट भाषण सबसे लंबा बजट भाषण था. यह बजट भाषण दो घंटे चालीस मिनट का था. एच. एम.पटेल ने बजट ने 1977 में अंतरिम बजट पेश किया था. उनका बजट भाषण सिर्फ 800 शब्दों का था.
बजट पेश करने के वक़्त में बदलाव
1999 से पहले तक आम बजट शाम 5 बजे पेश होता था लेकिन 1999 में जसवंत सिंह ने यह परंपरा बदलते हुए सुबह 11 बजे इसे पेश करने की परंपरा रखी.
ब्रीफकेस से बहीखाता तक
पहले वित्त मंत्री बजट दस्तावेजों के ब्रीफकेस में ले कर आते थे. लेकिन निर्मला सीतारमण 2019 में एक फाइल में बजट के दस्तावेज लेकर आईं. उस फाइल पर राष्ट्रीय प्रतीक छपा था . इसे बही-खाता कहा गया. दरअसल बजट फ्रेंच शब्द bougetteसे निकला है, जिसका मतलब होता है ब्रीफकेस.
पेपरलेस बजट
2021 में निर्मला सीतारमण ने एक टैबलेट से बजट भाषण पढ़ा था. हालांकि 2018 में यह परंपरा आंध्र प्रदेश और असम में शुरू हो गई थी लेकिन केंद्र में टेक्नोलॉजी को अहमियत देते हुए 2021 में ही पेपरलेस बजट की शुरुआत हुई.
कॉपी- दीपक मंडल
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)