- समीर ख़ान
- बीबीसी हिंदी के लिए, इंदौर से
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कोरोना महामारी के दौरान जहां कई उद्योग बंद हुए वहीं कुछ उद्यम ऐसे भी रहे जिन्हें इसकी वजह से खूब तरक्की मिली और आज भी फल-फूल रहे हैं.
ऐसी ही एक कहानी मध्य प्रदेश के इंदौर के उन दो उद्यमियों की है जो पेशे से तो इंजीनियर हैं. इनका पहले का पेशा कोरोना महामारी के दौरान चौपट हो गया था जिसके बाद उन्होंने लोगों की सेहत से जुड़ा एक उद्योग स्थापित किया जो अब सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा है.
कहानी है इंदौर शहर के दो इंजीनियर दोस्तों सुपात्र उपाध्याय और हरिओम यादव की.
इसकी शुरुआत हुई सुपात्र की 81 साल की नानी राधा रानी दुबे से, जिन्होंने कोरोना वायरस को 10 दिन के भीतर ही आसानी से मात दी थी और इसकी वजह अपने 'पुराने शुद्ध खानपान' को बताया था. नानी ये भी बोलीं कि अब ये 'शुद्ध' खाने की चीज़ें कहां मिल पाती हैं.
बस यहीं से इंदौर शहर के इन दो इंजीनियरों सुपात्र उपाध्याय और हरिओम यादव के दिमाग में 'खाने की शुद्ध' चीज़ें लोगों तक पहुंचाने का आइडिया आया.
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दोनों ने तय किया कि वो देश के कोने-कोने से शुद्ध प्राकृतिक खाद्य उत्पादों को भारत के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर लाएंगे.
दोनों दोस्त सुपात्र उपाध्याय और हरिओम यादव ने पूरे एक साल देश के 16 राज्यों के 90 शहरों की यात्रा की. इनमें से कई शहरों से उन्होंने मोटे अनाज जैसे- मिलेट, रागी, जौ और सूखे मेवे, मसाले समेत 150 से अधिक सर्टिफाइड शुद्ध प्रॉडक्ट्स का चयन किया. वहां के स्थानीय किसानों से करार किया और इन प्रॉडक्ट्स को इंदौर ले आए.
देश के इन चुनिंदा शहरों का चयन उन्होंने वहां के मशहूर उत्पादों के आधार पर किया. जैसे मैंगलोर का काजू मशहूर है तो वहां से काजू लिया. इसी तरह नासिक से किशमिश, कश्मीर से अखरोट, कन्याकुमारी से लौंग, राजस्थान से अश्वगंधा, तमिलनाडु से इलायची और काली मिर्च. वहीं उन्होंने रागी, समा, कंगनी, सनवा, कोडो, चेना जैसे मोटे अनाज को अलग-अलग राज्यों से चुना.
चावल उन्होंने छत्तीसगढ़ से मंगवाया. प्रोडक्ट की 'शुद्धता' बनी रहे इसके लिए बिना किसी बिचौलिए उन्होंने करार सीधे उन किसानों से किया जो प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती करते हैं.
और इस तरह इन दोनों ने 'रूट्स' की शुरुआत की.
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फ़िटनेस प्लेटफ़ॉर्म जो कोविड में बंद हो गया
''रूट्स' के जन्म से पहले इंजीनियरिंग करने के बाद लोगों के लाइफ़स्टाइल को बदलने के उद्देश्य से इन दोनों दोस्तों सुपात्र उपाध्याय और हरिओम यादव ने 2019-20 में एक फिटनेस फर्म शुरू किया था.
इसमें जिम बुकिंग, योग बुकिंग और प्रोटीन डायट शामिल थी. इसके लिए इंदौर के लगभग 60 जिम से टाइअप किया था लेकिन कोविड के चलते जिस बिज़नेस पर लगभग 5 लाख रुपये खर्च किए वह चौपट हो गया.
फिर दोनों ने इसे पूरी तरह बंद करते हुए कुछ अलग करने की चाहत के साथ ऐसा बिज़नेस शुरू करने की ठानी जो किसी भी महामारी की वजह से बंद न हो सके.
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रूट्स के जन्म से प्रॉफ़िट तक का सफ़र
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'रूट्स' के को-फाउंडर सुपात्र उपाध्याय और हरिओम यादव ने 2021 में रिसर्च किया कि हेल्दी फूड कहां उपलब्ध होगा और उसे इंदौर कैसे ला सकते हैं.
दोनों ने पूरी प्लानिंग की. फिर कश्मीर से शुरुआत की.
वो कहते हैं, "कश्मीर से शुरू करने के बाद हम महाराष्ट्र पहुंचे. वहां सरकार की ओर से प्रामाणिक ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों से बात की. हमने एक पूरा रोडमैप बनाया."
"हम गुजरात समेत 16 राज्यों में गए. सभी जगहों पर किसानों के साथ ये तय किया कि कैसे उनके उत्पाद इंदौर तक पहुंच सकते हैं. हमने एक पूरी सप्लाई चेन बनाई. इस पूरे काम में क़रीब सवा साल लगे."
वो कहते हैं, "हमारा शुरुआती बजट 25 से 30 लाख रुपये का था लेकिन अब तक हमने इसमें 38 से 40 लाख लगा दिए हैं."
अब ये दोनों इस बिज़नेस से प्रॉफिट कमाने लगे हैं. जल्द ही इसकी वेबसाइट भी लॉन्च होने वाली है.
वे कहते हैं, "ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों तरह की सेल से हमारा नेट प्रॉफ़िट बीते चार महीने से लगातार बढ़ रहा है. (ऊपर की तस्वीर में देख सकते हैं). वहीं हमारा अनुमान है कि एक साल पूरा होते होते महीने की सेल 10 लाख रुपये और नेट प्रॉफ़िट तीन लाख रुपये हो जाएगा."
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अपने हाथों से निकालते हैं शुद्ध तेल
'रूट्स' के को-फाउंडर हरिओम यादव कहते हैं कि आजकल युवाओं में हार्ट अटैक की समस्या एक आम बात हो गई है.
वे कहते हैं, "हम शुद्ध खानपान पर इसलिए ज़ोर दे रहे हैं क्योंकि प्राकृतिक प्रोडक्ट्स ज़मीन और शरीर के लिए हानिकारक माने जाने वाले कीटनाशकों से मुक्त होते हैं. इन प्रोडक्ट्स में पोषक तत्वों की मात्रा भरपूर होती है जिससे शरीर को फ़ायदा होता है और हमारा प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) मजबूत रहता है."
वे कहते हैं, "खाने में जिस चीज़ का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है वो है तेल. सरकार की गाइडलाइन है कि इसमें 30 फ़ीसद तक पाम ऑयल मिला सकते हैं. लेकिन वास्तव में क्या मिला रहे हैं ये किसी को पता नहीं हैं."
हरिओम दावा करते हैं, "हम कच्ची घानी से तेल निकालते हैं जिसमें कोई केमिकल नहीं होता. शुद्ध तेल निकालकर देते हैं. हम भी पहले रिफायंड आयल खाते थे लेकिन इन बातों को समझ कर हमने ख़ुद ही शुद्ध तेल निकालना शुरू किया."
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कोरोना में आया आइडिया
सुपात्र उपाध्याय और हरिओम यादव बताते हैं कि दोनों 2012 में एक ही कॉलेज में एक ही बस से जाया करते थे और एक ही ब्रांच में साथ थे.
वो कहते हैं, "हम जल्दी क़रीब आ गए क्योंकि बस से कॉलेज का सफ़र तय करते हुए हम दोनों एक साथ बैठते थे. फिर हम दोनों एक ही ब्रांच फ़ायर एंड सेफ़्टी में थे."
वो कहते हैं, "हम अक्सर ये विचार किया करते थे कि हमें इंजीनियरिंग की डिग्री तो लेनी है लेकिन किसी की नौकरी नहीं करनी है. हमें कुछ अलग करना था. समाज के लिए कुछ हटकर करना था."
सुपात्र बताते हैं कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने पर उन्होंने नौकरी नहीं की जबकि हरिओम यादव ने बताया कि उन्होंने इंदौर में ही फ़ायर सेफ़्टी ऑफिसर के तौर पर अमेजॉन के इंदौर ऑफ़िस में नौकरी कर ली.
वह अमेज़ॉन कंपनी के गोडाउन के इंचार्ज थे.
वे कहते हैं, "उस दौरान सुपात्र से अक्सर बात होती थी. तब एक दिन सुपात्र ने कॉलेज की बातें याद दिलाई कि समाज के लिए कुछ करना है. फिर हम दोनों ने साथ मिल कर कुछ करने का प्लान किया और तब मैंने नौकरी छोड़ दी. तब से हम दोनों साथ हैं."
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ग्राहक को पसंद आ रहे हेल्दी उत्पाद
'रूट्स' के स्टोर पर ख़रीदारी करने आई गृहिणी मोनिका शर्मा ने बताया की कोरोना के बाद और उसके आफ़्टर इफेक्ट के बाद हर किसी ने पहले से ज़्यादा हेल्दी डाइट लेना शुरू किया है.
उन्होंने कहा, "हमने भी पहले से अधिक हेल्दी डाइट लेना शुरू किया है क्योंकि हम चाहते हैं हमारी इम्यूनिटी अच्छी रहे. हमने भी सात्विक डाइट जैसे रोटी, सब्ज़ी, दाल और मल्टी ग्रेन आटे को हमारी डाइट में शामिल किया है."
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